पटना।

पटना एम्स के एमएस डॉक्टर यजुवेंद्र साहू की मौत के बाद एम्स के पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों में जबरदस्त आक्रोश है. छात्रों ने प्रशासन के समक्ष छह सूत्रीय मांगें रखी हैं और लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.छात्र त्रों का कहना है कि पटना एम्स में आराम करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता है.उन्हें लगातार 36-36 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है जिससे शारीरिक और मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है. कई बार उन्हें सिर्फ 2 से 3 घंटे ही सोने को मिलता है.

मेडिकल छात्रों का आरोप है कि राष्ट्रीय अवकाश जैसे 15 अगस्त और 26 जनवरी को भी उन्हें ओपीडी में काम करना पड़ता है. यहां ओपीडी में प्रतिदिन नए और पुराने मिलाकर तीन हजार से अधिक मरीज आते हैं जिससे वर्कलोड बहुत बढ़ जाता है.

छात्रों ने बताया कि यहां जूनियर पीजी छात्रों को सालभर में एक भी अवकाश नहीं दिया जाता जबकि एम्स के नियमों के अनुसार उन्हें 30 दिन की छुट्टी मिलनी चाहिए.

एक छात्रा ने बताया कि डॉक्टर यजुवेंद्र साहू की मां ने उन्हें छुट्टी लेकर घर आने को कहा था लेकिन काम के दबाव और वरिष्ठों की फटकार के कारण उन्हें छुट्टी नहीं मिल सकी. इसके बाद उन्होंने मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या कर ली.

छात्रों का कहना है कि दो वर्ष पूर्व हरियाणा के डॉक्टर नीलेश ने भी ऐसी ही परिस्थिति में सुसाइड कर लिया था.

प्रदर्शनकारी छात्रों ने एम्स प्रशासन के समक्ष छह सूत्रीय मांगें रखी हैं.डॉक्टर यजुवेंद्र साहू की मौत की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाए.मृतक डॉक्टर के परिवार को आर्थिक या अन्य किसी रूप में सहायता दी जाए.एम्स पटना को इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए आधिकारिक बयान जारी करना चाहिए.36 घंटे की शिफ्ट व्यवस्था को खत्म किया जाए और तय ड्यूटी ऑवर्स लागू किया जाए.मानसिक उत्पीड़न रोकने के लिए सतर्कता प्रकोष्ठ की स्थापना हो जहां शिकायतें गुप्त रूप से दर्ज हो सकें.पीजी सीटों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि प्रति डॉक्टर वर्कलोड कम हो सके और इलाज की गुणवत्ता भी बनी रहे.छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर गंभीरतापूर्वक कार्रवाई नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव