पटना।

पटना जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने आज जिले के राजस्व मामलों की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें दाखिल-खारिज, परिमार्जन, भूमि नापी, भूमि विवाद, आधार सीडिंग, अतिक्रमण उन्मूलन, सीमांकन, भू-अर्जन, भूमि हस्तांतरण समेत विभिन्न मुद्दों पर अंचलवार अद्यतन प्रगति की विस्तृत समीक्षा की गई। डीएम ने स्पष्ट कहा कि अब कोई भी लापरवाही या शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई तय है।

जिलाधिकारी ने दाखिल-खारिज मामलों में जिले की ओवरऑल प्रगति को संतोषजनक बताया। उन्होंने कहा कि पुराने बैकलॉग को समाप्त करने के साथ-साथ नए आवेदनों का निष्पादन भी समान रूप से किया गया है। 1 अप्रैल 2024 को जिले में दाखिल-खारिज के कुल 80,665 आवेदन लंबित थे, जो घटकर 7 अप्रैल 2025 तक मात्र 17,932 रह गए हैं। इसमें से 75 दिनों से अधिक समय से लंबित 40,207 मामलों की संख्या घटकर केवल 4,906 रह गई है। बीते एक वर्ष में दाखिल-खारिज के 80,107 नए आवेदन प्राप्त हुए, और इस अवधि में कुल 1,42,800 मामलों का निष्पादन किया गया है।

हालांकि जिलाधिकारी ने यह भी साफ किया कि 75 दिन से अधिक लंबित मामलों में अब मुख्य रूप से पाँच अंचल ही पीछे हैं—सम्पतचक, बिहटा, दीदारगंज, नौबतपुर एवं दानापुर।

सम्पतचक अंचल में 75 दिनों से अधिक अवधि के 1,638 दाखिल-खारिज मामले अब भी लंबित हैं। विगत दो सप्ताह में यहाँ के अंचलाधिकारी द्वारा मात्र 240 मामलों का निष्पादन किया गया है। निष्पादन की यह धीमी गति प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन चुकी है।

बिहटा अंचल ने बेहतर प्रदर्शन किया है। यहाँ 75 दिन से अधिक पुराने 1,142 मामलों में से 991 मामलों का निपटारा मात्र दो सप्ताह में कर लिया गया है। अब सिर्फ 151 मामले शेष हैं, जिससे यह अंचल अन्य के लिए आदर्श बन सकता है।

दीदारगंज अंचल में कुल 540 मामले 75 दिन से अधिक समय से लंबित थे, जिनमें से 513 मामलों का निष्पादन हो चुका है। अब यहाँ मात्र 27 मामले शेष हैं। यह प्रदर्शन अत्यंत सराहनीय माना गया है।

नौबतपुर अंचल में दाखिल-खारिज की स्थिति काफी चिंताजनक है। यहाँ 416 मामलों में से केवल 39 मामलों का ही निष्पादन हुआ है। 377 मामले अब भी लटक रहे हैं, जिससे अंचलाधिकारी की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

दानापुर अंचल की स्थिति औसत कही जा सकती है। यहाँ 384 दाखिल-खारिज मामलों में से 210 मामलों का निष्पादन हुआ है, जबकि 174 मामले अब भी लंबित हैं।

इन पाँच अंचलों के अंचल अधिकारियों को जिलाधिकारी द्वारा दो सप्ताह की अंतिम मोहलत दी गई है, ताकि वे सभी लंबित मामलों का निष्पादन कर सकें। साथ ही, कार्यों में लापरवाही बरतने के कारण इनसे स्पष्टीकरण भी मांगा गया है कि क्यों न इनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

वहीं, शेष अंचल अधिकारियों द्वारा राजस्व मामलों में अच्छा कार्य किया गया है, जिसे जिलाधिकारी ने सराहा और निर्देश दिया कि शेष अवशेष मामलों को भी शीघ्र निष्पादित किया जाए। परिमार्जन प्लस की बात करें तो 64,345 आवेदनों में से 52,326 का निष्पादन किया जा चुका है। हालांकि ऑनलाइन अनुपलब्ध जमाबंदी के डिजिटाइजेशन में स्थिति संतोषजनक नहीं है—41,264 आवेदनों में से 13,197 अब भी लंबित हैं। इसमें से 120 दिन से अधिक समय से लंबित 12,657 मामलों को प्राथमिकता पर निष्पादित करने का आदेश दिया गया है।

भूमि विवादों, म्यूटेशन अपील और बीएलडीआरए कोर्ट के मामलों में भी गति बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। 90 दिन से अधिक के लंबित बीएलडीआरए मामलों और 30 दिन से अधिक के म्यूटेशन अपीलों को शीघ्र निपटाने की बात कही गई है।

जिलाधिकारी ने ज़ोर देते हुए कहा कि सभी अंचलाधिकारी विभिन्न योजनाओं जैसे आंगनबाड़ी केन्द्र, एपीएचसी एवं एचएससी भवन निर्माण हेतु समयबद्ध तरीके से भूमि उपलब्ध कराएँ। अब तक 365 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए चिन्हित भूमि में से 141 मामलों में एनओसी जारी की गई है। शेष 224 के लिए एक सप्ताह में एनओसी देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, 15 एपीएचसी और 335 एचएससी के भवनों के लिए ज़मीन चिन्हित कर एनओसी तत्काल जारी करने को कहा गया है।

अंत में जिलाधिकारी ने दो टूक कहा कि राजस्व मामलों में कार्यशैली में शिथिलता, लापरवाही और अनियमितता को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो अधिकारी 10 दिनों में अपेक्षित सुधार नहीं लाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

इस समीक्षा बैठक में समाहर्ता के साथ सभी अनुमंडल पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, अंचलाधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

ब्यूरो रिपोर्ट