
बिक्रम (पटना)।
पटना से सटे बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में 1.5 करोड़ रुपये की लागत से बना हाइवे ट्रामा सेंटर आज भी उद्घाटन का इंतजार कर रहा है। 24 साल पहले, 3 नवंबर 2001 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर ने इस ट्रामा सेंटर का शिलान्यास किया था। इस मौके पर बिहार सरकार के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री शकुनी चौधरी और बिक्रम के तत्कालीन विधायक रामजन्म शर्मा भी मौजूद थे।
ट्रामा सेंटर का निर्माण कार्य तेजी से पूरा हुआ था। भवन तैयार होने के साथ-साथ एंबुलेंस और महंगे चिकित्सा उपकरण भी मंगवाए गए थे। लेकिन राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय की कमी के चलते यह ट्रामा सेंटर कभी चालू नहीं हो सका। एंबुलेंस कभी सड़क पर नहीं दौड़ी, उपकरणों में जंग लग गया, और भवन भी धीरे-धीरे जर्जर होता चला गया।

नई सरकार, नई उम्मीदें
अब जबकि बिहार में डबल इंजन की सरकार है और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व में बिक्रम में नए ट्रामा सेंटर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, स्थानीय लोगों को पुराने ट्रामा सेंटर के संचालन की उम्मीद भी जगी है। नये ट्रामा सेंटर के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है और निर्माण कार्य वर्ष 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
स्थानीय लोगों और समाजसेवियों का कहना है कि जब तक नया ट्रामा सेंटर बनकर तैयार होता है, तब तक पुराने भवन का उपयोग दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए किया जा सकता है। इसके उद्घाटन की मांग जोर पकड़ रही है, जिसमें डॉ. सीपी ठाकुर, शकुनी चौधरी और रामजन्म शर्मा को संयुक्त रूप से शामिल करने की बात कही जा रही है।
“धरोहर को संजोने का समय”
डॉ. ममतामई प्रियदर्शिनी, मृगेंद्र कुमार, सुमित कुमार, शिव कुमार, और अशोक सिंह जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह सिर्फ एक ट्रामा सेंटर नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक धरोहर है। डॉ. प्रियदर्शिनी ने कहा, “हमें अपने बुजुर्गों के सम्मान और धरोहर को बचाना होगा। जब 2001 में इसका निर्माण हुआ था, लोग ढोल-नगाड़े बजाकर खुशी मना रहे थे, लेकिन 24 वर्षों में वह उत्साह फीका पड़ गया है।”
स्थानीय जेपी सेनानी ब्रज किशोर तिवारी और राजेंद्र सिंह ने कहा, “कोई भी पुत्र अपने पिता के कार्यों और धरोहर को संजोकर एक महान उपलब्धि हासिल कर सकता है। यह उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के लिए भी सम्मान की बात होगी कि वे अपने पिता शकुनी चौधरी के अधूरे सपने को पूरा करें।”
बर्बाद होती भारी रकम
अगर पुराने ट्रामा सेंटर का संचालन नहीं हुआ तो यह भारी रकम की बर्बादी होगी। स्थानीय लोगों को डर है कि कहीं नया ट्रामा सेंटर भी सिर्फ शिलान्यास और उद्घाटन के ड्रामे तक ही सीमित न रह जाए। खुशी तब होगी जब पुराने ट्रामा सेंटर को चालू किया जाएगा और नए ट्रामा सेंटर के निर्माण के बाद इसे और बेहतर सुविधाओं से लैस किया जाएगा।
क्या बिक्रम के लोग 24 साल के इंतजार के बाद ट्रामा सेंटर की सुविधा का लाभ उठा पाएंगे या यह धरोहर राजनीति की भेंट चढ़ती रहेगी? जवाब आने वाला वक्त ही देगा।
रिपोर्ट शशांक मिश्रा