
पटना।
पटना जिलाधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने शुक्रवार को मिशन वात्सल्य योजना के तहत संचालित स्पॉन्सरशिप योजना की समीक्षा बैठक की। बैठक में 81 पूर्व स्वीकृत लाभार्थियों की स्थिति की जांच की गई, जिसमें पाया गया कि 67 पात्र बच्चों को अगले एक वर्ष के लिए सहायता राशि स्वीकृत की जाएगी। अब तक इस योजना से 720 बच्चों को जोड़ा जा चुका है, जिससे पटना राज्य का अग्रणी जिला बन गया है।
जांच के मुख्य निष्कर्ष:
81 स्वीकृत लाभार्थियों की स्कूल एवं होम विजिट रिपोर्ट तैयार की गई।
10 बच्चों की आयु 18 वर्ष पूर्ण हो जाने के कारण उन्हें योजना से बाहर कर दिया गया।
04 बच्चों के अभिभावकों की मृत्यु के कारण उनका लाभ अस्थायी रूप से रोका गया, जब तक कि नए अभिभावकों का सत्यापन पूरा नहीं हो जाता।
67 पात्र बच्चों को 01 फरवरी 2025 से सहायता राशि जारी करने की स्वीकृति दी गई।
स्पॉन्सरशिप योजना की पात्रता समाप्त होने के कारण:
बच्चे की आयु 18 वर्ष पूर्ण हो गई हो।
परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ हो।
स्कूल में 30 दिनों से अधिक अनुपस्थिति (विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को छोड़कर)।
माता-पिता गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण देखभाल करने में असमर्थ हों।
बच्चे और परिवार तीन महीने तक साथ रहने के बावजूद समायोजित न हो पाए हों।
योजना की मुख्य बातें:
प्रति माह ₹4,000/- की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जो 18 वर्ष की उम्र तक जारी रहेगी।
बच्चों को उनके जैविक परिवार में रहकर शिक्षा जारी रखने में सहायता देना, ताकि वे सुरक्षित और सशक्त बने रहें।
पात्रता मानदंड:
मां विधवा, तलाकशुदा या परित्यक्त हो।
अनाथ बच्चे, जो विस्तारित परिवार के साथ रह रहे हों।
माता-पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित हों।
माता-पिता आर्थिक और शारीरिक रूप से असमर्थ हों।
बाल न्याय अधिनियम, 2015 के तहत देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे।
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन योजना के अंतर्गत आने वाले बच्चे।
आर्थिक मानदंड:
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए: ₹72,000/- प्रति वर्ष
शहरी क्षेत्रों के लिए: ₹96,000/- प्रति वर्ष
आवश्यक दस्तावेज़:
आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, शिक्षण संस्थान का पंजीयन प्रमाण पत्र।
आवेदन जमा करने का स्थान:
जिला बाल संरक्षण इकाई, समाहरणालय, गांधी मैदान, पटना। बाल कल्याण समिति, बाल गृह, अपना घर, ललित भवन के पीछे, पटना।
यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को उनके सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश में सुरक्षित जीवन जीने का अवसर प्रदान करती है, जिससे उनका विस्थापन रोका जा सके।
ब्यूरो रिपोर्ट