नई दिल्ली।

आईआईटी बॉम्बे से मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद, अभय सिंह ग्रेवाल ने एक अच्छी नौकरी छोड़कर आध्यात्मिकता की ओर कदम बढ़ाया। उनकी कहानी एक अनूठा उदाहरण है कि कैसे कुछ लोग भौतिक सफलताओं के बावजूद आंतरिक शांति की खोज में निकल पड़ते हैं। अभय का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में जो निर्णय लिया है, वह अब वापसी का कोई रास्ता नहीं है।

उनके पिता कर्ण सिंह ग्रेवाल ने बताया कि अभय हमेशा से ही अध्ययन में अच्छे रहे हैं और कनाडा में दो साल तक नौकरी करने के बाद उन्होंने कोविड के दौरान वापस लौटने का निर्णय लिया। इसके बाद से अभय ने दार्शनिक जे.कृष्णमूर्ति का अध्ययन किया और धार्मिक स्थलों की यात्रा की। परिवार का प्रयास है कि अभय वापस घर लौटें, लेकिन अभय का मन पूरी तरह से आध्यात्मिकता की ओर है।

अभय के इस निर्णय ने उनके परिवार को भावुक कर दिया है। वे चाहते हैं कि वह घर लौटकर परिवार का ख्याल रखें, लेकिन अभय का कहना है कि अब वह इस जीवन शैली में पूरी तरह से ढल चुके हैं और उसे वापस लौटने का कोई इरादा नहीं है। इस प्रकार, अभय का यह निर्णय एक गहन आत्म-खोज और आत्म-निर्णय का प्रतीक बन गया है।

ब्यूरो रिपोर्ट