पटना।
बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक बार फिर चर्चा का दौर शुरू हो गया है, और इस बार इसे खरमास के बाद होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इस मुद्दे पर कोई जानकारी नहीं होने की बात कही और स्पष्ट किया कि इस बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है। वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मंत्री संतोष मांझी ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में है और उन्होंने यह भी कहा कि यदि मंत्री पदों के लिए सीटें खाली हैं, तो इसका अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री ही लेंगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में राज्यपाल से मुलाकात की, जिससे इस मुलाकात के उद्देश्य को लेकर अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, मुख्यमंत्री सचिवालय और राजभवन की ओर से इसे एक शिष्टाचार मुलाकात बताया गया और इस विषय पर ज्यादा जानकारी नहीं दी गई।

सूत्रों के मुताबिक, यदि मंत्रिमंडल विस्तार होता है, तो नीतीश कुमार पटना, सारण और तिरहुत प्रमंडल के नेताओं को मंत्री बना सकते हैं, ताकि इन क्षेत्रों से राजनीतिक संदेश दिया जा सके। इसके अलावा, आगामी विधानसभा चुनाव से पहले जातीय समीकरण को दुरुस्त किया जाएगा।

बिहार सरकार में वर्तमान में भाजपा के 15, जदयू के 13, हम के 1 और 1 निर्दलीय मंत्री हैं। मंत्रिमंडल में कुल 6 और मंत्री बन सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से नीतीश कुमार पर निर्भर करेगा कि वे किस दल से कितने या किसे मंत्री बनाएंगे। इस समय, 10 मौजूदा मंत्रियों के पास एक से अधिक विभागों की जिम्मेदारी है। चर्चा है कि नीतीश कुमार भाजपा की ओर से संभावित मंत्रियों की सूची का इंतजार कर रहे हैं, जो खरमास के बाद उन्हें मिल सकती है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के सिद्धांत के तहत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल राजस्व और भूमि सुधार मंत्री पद से इस्तीफा देकर संगठन का काम देख सकते हैं।

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं, और राज्य के संविधान के अनुसार, राज्य सरकार में अधिकतम 35 मंत्री हो सकते हैं। वर्तमान में बिहार में 30 मंत्री हैं, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि 5 और मंत्री बनाए जा सकते हैं। भाजपा कोटे से 3 से 4 मंत्रियों की नियुक्ति पर चर्चा हो रही है। मंत्रिमंडल विस्तार और बोर्ड-निगम गठन की चर्चाएं चुनावी साल में और तेज हो गई हैं, और एनडीए के घटक दलों के कई नेता मंत्री पद और बोर्ड-निगम में अपनी हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि खरमास या चूड़ा-दही के बाद मंत्रिमंडल विस्तार होता है या नहीं।

ब्यूरो रिपोर्ट