“काइनेक्टिन प्रोटीन और हाइब्रिडाइजेशन तकनीक की भूमिका” पर रखे विचार

फुलवारी शरीफ। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित बेकर कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ. जनार्दन कुमार ने विशेष व्याख्यान दिया. विषय था— “काइनेक्टिन प्रोटीन के कार्य को समझने में हाइब्रिडाइजेशन तकनीक की भूमिका और भारत में चिकित्सा विज्ञान में इसकी कमी.”

कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में हुआ, जिसमें बिहार वेटरिनरी कॉलेज पटना, संजय गांधी डेयरी प्रौद्योगिकी संस्थान तथा किशनगंज स्थित वेटरिनरी एवं फिशरीज कॉलेज के शिक्षक और विद्यार्थी शामिल हुए.

डॉ. कुमार ने बताया कि उनका शोध माइक्रोट्यूब्यूल मोटर प्रोटीन काइनेक्टिन पर आधारित है, जिसे प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस में प्रकाशित किया गया है. उन्होंने कहा कि हाइब्रिडाइजेशन तकनीक जीनोमिक्स और बायोटेक्नोलॉजी के लिए अत्यंत उपयोगी है, लेकिन भारत में इसका समुचित उपयोग अभी नहीं हो पाया है.

उन्होंने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तकनीक पर भी विस्तार से चर्चा की, जो कैंसर उपचार और बायोमेडिकल रिसर्च में अहम भूमिका निभा रही है. डॉ. कुमार ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों में सेल बायोलॉजी में पीजी और पीएचडी कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए, जिससे शोध और रोजगार के नए अवसर बनेंगे.

कुलपति प्रो. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों और शिक्षकों को वैश्विक स्तर पर अवसर दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत देश में ही शोध सामग्री और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी निर्माण की जरूरत पर जोर दिया.

अनुसंधान निदेशक डॉ. एन. के. सिंह ने आभार जताते हुए कहा कि डॉ. कुमार का अनुभव विश्वविद्यालय के लिए प्रेरणा का स्रोत है. कार्यक्रम में निदेशक विस्तार शिक्षा, छात्र कल्याण पदाधिकारी और अन्य शिक्षक भी उपस्थित रहे. अंत में डॉ. पी. कौशिक ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया.

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव