बिहटा।
वन देवी महाधाम में इस वर्ष भी लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न हुआ। 36 घंटे का निर्जला उपवास कर व्रती महिलाओं ने उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। व्रती महिलाओं का मानना है कि सूर्य देव को आरोग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है और वे संपूर्ण सृष्टि को जीवनशक्ति प्रदान करते हैं।

छठ महापर्व: शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व
छठ पूजा समिति के सदस्य पवन कुमार ने बताया कि यह पर्व केवल आस्था का नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का भी प्रतीक है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार, नहाय-खाय से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलने वाले इस महापर्व में छठ व्रतियों पर षष्ठी माता की विशेष कृपा बरसती है। सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है।

सूर्य उपासना का वैज्ञानिक महत्व
सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है और उनकी किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता होती है। छठ पूजा के दौरान व्रती विशेष विधि से जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

समिति के सदस्य रहे उपस्थित
छठ पूजा समिति के सदस्य छोटे सर, दुर्गेश कुमार, राहुल कुमार, राजू कुमार, वीरू कुमार, चुनचुन कुमार और नीरज कुमार भी आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रहे।

ब्यूरो रिपोर्ट