बेलगावी/कर्नाटक।
बेलगावी स्थित जे.एन. मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग और इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट (आईएएमएम) द्वारा 28-29 मार्च 2025 को राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का मुख्य विषय “एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) का पता लगाने और निगरानी में रुझान” था।

सम्मेलन का उद्घाटन और मुख्य वक्तव्य:
सम्मेलन की शुरुआत आयोजन अध्यक्ष और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. शीतल हरकुनी द्वारा गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों के स्वागत के साथ हुई।

मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. प्रतिभा नारंग, जो एमजीआईएमएस, सेवाग्राम, वर्धा में प्रोफेसर एमेरिटस और माइक्रोबायोलॉजी एवं क्षय रोग की विशेषज्ञ हैं, ने क्षय रोग में एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।

काहेर विश्वविद्यालय के कुलपति और मुख्य अतिथि डॉ. नितिन गंगाने ने एंटीबायोटिक दवाओं के तर्कसंगत उपयोग और एएमआर के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकजुट होने की आवश्यकता पर बल दिया।


आईएएमएम की रिपोर्ट और सम्मेलन के उद्देश्य:
आईएएमएम के उप सचिव डॉ. संजय बिस्वास ने सचिवीय रिपोर्ट प्रस्तुत की और प्रतिनिधियों को आगामी माइक्रोकॉन 2025 के बारे में जानकारी दी।

आईएएमएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एम.बी. नागमोती ने सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए नए शोध और जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है।

कार्यशालाएं और वैज्ञानिक सत्र:
इस सम्मेलन में देशभर के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

डॉ. अभय चौधरी (मुंबई), डॉ. एस.एल. होती (पुडुचेरी), डॉ. वी. रवि (बैंगलोर), डॉ. नीलमा हिरानी और उनकी टीम (मुंबई), डॉ. मानसी मलिक और उनकी टीम (बैंगलोर)

इन विशेषज्ञों ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के निदान, निगरानी और रोकथाम पर महत्वपूर्ण प्रस्तुतियां दीं।

इसके अलावा, सम्मेलन में कई प्रतिष्ठित चिकित्सकों और शिक्षाविदों ने भाग लिया, जिनमें शामिल हैं:

डॉ. एच.बी. राजशेखर, डॉ. सी.एस. पाटिल, डॉ. वी.डी. पाटिल, डॉ. ए.एस. गोधी, डॉ. शारदा मेटगुड, डॉ. (कर्नल), ए.के. सिंह, डॉ. भारती मल्होत्रा

डॉ. (कर्नल) ए.के. सिंह का सम्मान:
इस सम्मेलन के दौरान एक विशेष क्षण तब आया जब बिहार के पटना जिले के बिहटा स्थित अमहरा गांव के निवासी, प्रख्यात माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) ए.के. सिंह को उनके अतुलनीय योगदान के लिए जे.एन. मेडिकल कॉलेज, बेलगावी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा सम्मानित किया गया।
              उनके इस सम्मान को न केवल उनके सहयोगियों और चिकित्सा जगत ने सराहा, बल्कि उनके गृह राज्य बिहार और विशेष रूप से उनके गांव अमहरा में भी गर्व की लहर दौड़ गई।

उनके छोटे भाई अमिताभ कुमार उर्फ मोनू सिंह ने इस पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा:

“भैया को जो सम्मान मिला है, वह उनके समर्पण और चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान का सच्चा प्रमाण है। पूरा गांव इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहा है और खुशी से झूम उठा है।”

डॉ. (कर्नल) ए.के. सिंह की इस प्रतिष्ठित मान्यता ने यह साबित कर दिया कि सच्ची लगन, परिश्रम और निष्ठा से कोई भी व्यक्ति न केवल अपने पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है, बल्कि अपने जन्मस्थल और देश का नाम भी रोशन कर सकता है। उनके योगदान ने चिकित्सा समुदाय को प्रेरित किया है और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बन गए हैं।

            डॉ. (कर्नल) ए.के. सिंह का सम्मान इस आयोजन की एक खास उपलब्धि रही, जिसने न केवल चिकित्सा जगत में बल्कि उनके गृह क्षेत्र में भी प्रेरणा और गर्व की भावना जागृत की।


सम्मेलन का समापन और प्रतिनिधियों की भागीदारी
सम्मेलन का समापन जे.एन. मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. एन.एस. महंतशेट्टी द्वारा अतिथियों को सम्मानित करने और अध्यक्षीय भाषण देने के साथ हुआ।

ब्यूरो रिपोर्ट