फुलवारी शरीफ।

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के परिसर में आज पहली बार विश्व ध्यान दिवस (वर्ल्ड  मैडिटेशन  डे ) मनाया गया. इस अवसर पर ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ पटना के कुमार रंजय ने विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों को ध्यान के महत्व और लाभों से अवगत कराया.

कार्यक्रम के दौरान कुमार रंजय ने कहा कि ध्यान (मैडिटेशन ) क्या है और इसके लाभ क्या हैं, यह सभी जानते हैं, फिर भी अधिकांश लोग इसे अपनी दिनचर्या में शामिल नहीं करते.उन्होंने जोर देकर कहा कि लोग जब अधिक ऊर्जावान होते हैं, तब ध्यान करके शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बन सकते हैं. ध्यान आत्म-चिंतन और आत्म-संतुष्टि का माध्यम है, जिसे सभी को अपनाना चाहिए.


विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संजीव कुमार ने कहा कि ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 दिसंबर को ‘विश्व ध्यान दिवस’ घोषित करना एक महत्वपूर्ण पहल है. उन्होंने कहा कि यह दिवस सभी को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के उच्चतम स्तर तक पहुँचने के अधिकार की याद दिलाता है.

डीन (स्नातकोत्तर शिक्षा) डॉ. वीर सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य आज वैश्विक चुनौती बन चुकी है. ध्यान, लोगों को जीवन के तनावों से निपटने, आत्म-विश्वास बढ़ाने और कार्यक्षमता में वृद्धि करने का सशक्त माध्यम है.

कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. सिउली शाहा रॉय ने कहा कि मनुष्य का मस्तिष्क तभी केंद्रित हो सकता है जब वह अपने मन पर नियंत्रण रखे. ध्यान एक ऐसी विधा है, जो मानसिक शांति और आत्म-संयम प्रदान करती है.

विश्वविद्यालय के इस आयोजन में उपस्थित सभी लोगों ने ध्यान क्रिया का अनुभव किया और भविष्य में इसे नियमित रूप से करने का संकल्प लिया.

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव