
फुलवारी शरीफ़।
रेडिएशन ऑनकोलाॅजी विभाग, एम्स-पटना ने तीन दिवसीय 11वां एआरओआई-एस्ट्रो शिक्षण पाठयक्रम आयोजित किया.पाठयक्रम का विषय “उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ अंतर को कम करना” है.शिक्षण पाठ्यक्रम एम्स-पटना के कार्यकारी निदेशक डाॅ. सौरभ वाष्र्णेय के संरक्षण में आयोजित हुआ. इस अवसर पर एम्स-पटना के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. अनुप कुमार मुख्य अतिथि रहे.

कार्यक्रम रेडिएशन ऑनकोलाॅजी विभाग की प्रोफेसर एवं प्रमुख डाॅ. प्रीतांजलि सिंह की देखरेख में आयोजित हुआ.गणमान्य व्यक्तियों में डाॅ. मनोज गुप्ता (एम्स-ऋषिकेश), डाॅ. बी. सान्याल (एमसीएस, पटना), डाॅ. जे.के. सिंह (एसएस हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, पटना), डाॅ. राजीव रंजन (मेदांता हाॅस्पिटल, पटना) और डाॅ. पी.एन. पंडित इस अवसर पर उपस्थित रहे.
कार्यशाला में भाग लेने वाले अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं में डाॅ. एंड्रयू होप, रेडिएशन, ऑनकोलाॅजिस्ट, प्रिंसेस मार्गरेट हाॅस्पिटल टोरंटो, डाॅ. बेन हेजमेन, मेडिकल फिजिसिस्ट और एरामस एमसी कैंसर इंस्टीट्यूट में रेडियशन ऑनकोलाॅजी के प्रोफेसर, जीडी राॅटरडैम और मैरेड डेली (रेडियोग्राफर, कैंसर अनुसंधान, यू.के.)। एआरओआई पाठ्यक्रम निदेशक डाॅ. इंद्रनील मल्लिक वरिष्ठ सलाहकार, विकिरण ऑनकोलाॅजिस्ट, टीएमसी, कोलकाता और एस्ट्रो पाठ्यक्रम निदेशक, डाॅ. बेन हेजमेन, चिकित्सा भौतिक विज्ञानी एरामस एमसी कैंसर संस्थान, जीडी राॅटरडैम राष्ट्रीय संकायों के साथ शिक्षण पाठ्यक्रम का मार्गदर्शन किया.
उपचार योजना, त्रुटियों, मार्जिन और सुधार रणनीतियों, श्वसन गति प्रबंधन, आईएमआरटी वितरण और योजना मूल्यांकन के लिए आधुनिक इमेजिंग तकनीक पर विस्तृत चर्चा. इसमें स्टीरियोटैक्टिक रेडियोथेरेपी और रेडियोसर्जरी, बायोफिजिकल माॅडल, कण थेरेपी, अनुकूली रोडियोथेरेपी, स्वाचालित और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, नई तकनीक और नई उभरती प्रौद्योगिकियों (हैवी आयरन, फ्लैश और ग्रिड थेरेपी आदि) का आकलन करने के लिए डिाजाइनिंग अध्ययन पर चर्चा भी शामिल है.
5 दिसम्बर 2024 को, डाॅ. एंड्रयू होप (रेडिएशन ऑनकोलाॅजिस्ट, प्रिंसेस मार्गरेट हाॅस्पिटल टोरंटो, कनाडा), ने उन्नत प्रौद्योगिकियों के उपयोग के लिए नैदानिक तर्क पर एक व्याख्यान दिया, उन्होंने अनुरूप रेडियोथेरपी देने में गति प्रबंधन के महत्व के बारे में बताया जो उच्च खुराक देने में मदद करता है.जोखिम वाले अंग को लक्ष्य और कम खुराक, श्वसन गति प्रबंधन के तीन दृष्टिकोणों में चैड़ाई पकड़ तकनीक और पेट संपीड़न के साथ गति को सीमित करना, गति (निष्क्रिय रणनीतियों) का आकलन करना और प्रसव से पहले उपचार रणनीतियों को अनुकूलित करना या रेडियोथेरेपी के वितरण के दौरान उपचार रणनीतियों को अपनाने के साथ सक्रिय रणनीतियों के साथ गति का पालन करना शामिल है.डाॅ. तेजपाल गुप्ता (मुम्बई) लक्ष्य परिभाषा में आधुनिक इमेजिंग को शामिल करने के सिद्धांत, अवसरों और चुनौतियों के बारे में बताएं.डाॅ. संतम चक्रवर्ती (कोलकाता) क्लिनिकल प्रैक्टिस में त्रुटि और मार्जिन के बारे में बात करते हैं. डाॅ. मैरेड डेली (विकिरण चिकित्सक, क्लिनिकल अस्पताल एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट और मैनचेस्टर विश्वविद्यालय मैनचेस्टर यूके) ने श्वसन गति प्रबंधन के सिद्धांत और अभ्यास के बारे में बताया.
डाॅ. बेन हेजमेन ने इंटेंसिटी माॅड्यूलेटेड रेडियोथेरेपी (आईएमआरटी) तकनीक के बारे में बात की, डाॅ. इंद्रनील मल्लिक ने आईएमआरटी योजना मूल्यांकन के बारे में बताया. डाॅ. प्रकाश उंबरकर, डाॅ. एंड्रयू होप, डाॅ. संतम ने सिर और गर्दन के कैंसर, स्त्री रोग और प्रोस्टेट कैंसर के लिए विकिरण ऑनकोलाॅजी विभाग में पीटीवी मार्जिन और छवि मार्गदर्शन के लिए चरणबद्ध प्रोटोकाॅल कैसे विकसित किया जाए, इस पर चर्चा की. डाॅ. प्रीतांजलि सिंह, एचओडी, रेडिएशन ऑनकोलाॅजी विभाग, एम्स-पटना, डाॅ. अनिल आनंद (दिल्ली) ने टेक होम संदेश के बारे में बताया कि सर्वोत्तम उपचार और कम विषाक्तता प्राप्त करने के लिए उन्नत तकनीक के साथ अनुरूप रेडियोथेरेपी प्रदान की जा सकती है.
6 दिसम्बर 2024 को, सत्र की शुरुआत डाॅ. थर्मर गणेश, बेंगलूरु द्वारा एसबीआरटी, इसकी रेडियोबायोलाॅजी, भौतिकी, प्रौद्योगिकी पर चर्चा और डाॅ. एंड्रयू होप द्वारा फ्रेमलेस आईजीआरटी की अच्छी व्याख्या के साथ हुई.इसके बाद डाॅ. बेन हेजमेन द्वारा बायोफिजिकल माॅडल पर चर्चा की गई. तेजपाल गुप्ता ने कण चिकित्सा, अवसर, साक्ष्य और चुनौतियाँ और कपालीय एसआरएस पर व्याख्या दिया. फेफड़े के एसबीआरटी पर एक नैदानिक सत्र-संकेत, समोच्च सत्र, डाॅ. एंड्रयू होप द्वारा प्रस्तुत किया गया.
7 दिसम्बर 2024 को, सत्र की शुरुआत डाॅ. बेन हेजमेन द्वारा सतह निर्देशित विकिरण चिकित्सा पर एक चर्चा के साथ हुई, इसके बाद डाॅ. इंद्रनील मल्लिक द्वारा अनुकूली रोडियोथेरेपी सिद्धांत पर चर्चा हुई.डाॅ. साई सुब्रमण्यन ने सीटी आधारित दत्तक रेडियोथेरेपी के बारे में बताया. टीएमसी, मुंबई से डाॅ. प्रकाश उंबरकर ने सीटी आधारित गोद लेने वाली रेडियोथेरेपी पर कार्यान्वयन के बारे में बताया. टीएमसी, कोलकाता के डाॅ. संतम चक्रवर्ती ब्रेस्ट डीआईबीएच और आईएमआरटी के बारे में बताया और टीएमसी मुंबई की डाॅ. सुप्रिया चोपड़ा ने क्लिनिकल सत्र में लिवर एसबीआरटी के बारे में विस्तृत जानकारी दी.
8 दिसम्बर 2024 को रेडियोथेरेपी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर सत्र फोकस. डाॅ. बेन ने स्वचालित उपचार योजना के बारे में बताया.डाॅ. एंड्रयू होप कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रेडियोथेरेपी में इसके अनुप्रयोग पर व्याख्यान देंगे.डाॅ. संतम चक्रवर्ती ने कंटूरिंग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका के बारे में बताया.डाॅ. सुप्रिया चोपड़ा ने उन्नत प्रोद्योगिक में परिवर्तन के प्रभाव विश्लेषण के बारे में बताया. अंतिम सत्र में डाॅ. ज्योतिरूप गोस्वामी नई तकनीक का आकलन करने के लिए नैदानिक परीक्षण डिजाइन पर व्याख्यान देंगे। डाॅ. टी. गणेश ने फ्लैश थेरेपी के बारे में बताया. पाठयक्रम में 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और विकिरण ऑनकोलाॅजी में उन्नत प्रौद्योगिक के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाया.
