फुलवारी शरीफ।

भारत के सभी विद्यालय परिवहन रहित बनाए जाएं ताकि इसे निकालने वाले दुआ से प्रदूषण को काम किया जाए और नौनिहाल बच्चों को प्रदूषण मुक्त शुद्ध वातावरण उपलब्ध हो पाए. स्कूल आने और जाने के दौरान छोटे-छोटे बच्चे कई घंटे तक प्रदूषण और धुआं के बीच अपना समय बिता रहे हैं जो उनके उज्जवल भविष्य अच्छे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. बच्चों को शुद्ध व प्रदूषण मुक्त वातावरण मुहैया कारण सरकार के साथ आम जनता की जिम्मेदारी है. संपतचक के प्रख्यात शिक्षाविद् पर्यावरण विद् प्रेम लोक मिशन स्कूल के निदेशक एवं भारतीय लोकहीत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरुदेव श्री प्रेम ने प्रधानमंत्री भारत सरकार को पत्र लिखकर निजी स्कूलों को परिवहन मुक्त किए जाने की मांग उठाई है.
गुरुदेव श्री प्रेम ने कहा है कि देश में कुल 1256 केन्द्रीय विद्यालय, सरकारी विद्यालय 1,02,238, निजी विद्यालय- 3,35,844 है.देश के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगभग 14 करोड़ एवं निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की कुल संख्या लगभग 12 करोड़ है. दस लाख सरकारी विद्यालयों में राजस्थान, हरियाणा के कुछेक विद्यालयों को छोड़ परिवहन रहित हैं एवं क्या कारण है कि लगभग तीन लाख निजी विद्यालयों के सभी विद्यालय परिवहन सहित हैं? जब देश के आधे से ज्यादा बच्चे परिवहन रहित व्यवस्था में पढ़ सकते हैं तो आधी और क्यों नहीं पढ़ सकते हैं?

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव