पटना।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। पटना के डीएम-सह-जिला निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम. ने गुरुवार को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में सेक्टर पदाधिकारियों और सेक्टर पुलिस पदाधिकारियों की अहम बैठक बुलाई। इस दौरान 563 सेक्टर पदाधिकारियों और उतनी ही संख्या में सेक्टर पुलिस अफसरों को स्पष्ट संदेश दिया गया— “चुनाव निष्पक्ष, भयमुक्त और पारदर्शी होना चाहिए, इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।”

डीएम ने साफ कहा कि सेक्टर अफसर चुनावी प्रबंधन की रीढ़ हैं। मतदान की अधिसूचना से लेकर नतीजे आने तक पूरा प्रशासनिक तंत्र इन्हीं पर टिका रहता है। उन्हें न केवल निष्पक्ष रहना है बल्कि मतदाताओं और राजनीतिक दलों के बीच यह छवि भी बनानी है कि वे सचमुच निष्पक्ष हैं। यानी पारदर्शिता केवल आचरण में ही नहीं बल्कि दिखावे में भी होनी चाहिए।

बैठक में डीएम ने वल्नरेबल हैमलेट्स और वल्नरेबल वोटर्स की पहचान पर विशेष जोर दिया। यह जिम्मेदारी सेक्टर अफसरों की होगी कि वे गुपचुप ढंग से ऐसे इलाकों और मतदाताओं की पहचान करें जिन्हें चुनाव के दौरान डराने, धमकाने या प्रलोभन देने की आशंका हो। प्रशासन ने पहले ही साफ कर दिया है कि ऐसे मामलों में “शून्य सहिष्णुता” की नीति अपनाई जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

पटना जिले में 14 विधानसभा क्षेत्रों के 5,665 मतदान केंद्रों को 563 सेक्टरों में बांटा गया है। औसतन हर सेक्टर पदाधिकारी के जिम्मे दस मतदान केंद्र होंगे। मतदान के दिन इन अफसरों को विशेष दंडाधिकारी की शक्ति भी दी जाएगी ताकि किसी भी गड़बड़ी पर तुरंत कार्रवाई कर सकें। डीएम ने चेतावनी दी कि यदि किसी भी मतदाता को डराकर, पैसे या सामान बांटकर प्रभावित करने की कोशिश हुई तो उस पर न केवल आपराधिक केस होगा बल्कि तत्काल कार्रवाई भी की जाएगी।

प्रशिक्षण सत्र में अधिकारियों को विस्तार से बताया गया कि उनकी ड्यूटी केवल चुनाव के दिन तक सीमित नहीं है। मतदान से पहले उन्हें बूथ तक पहुंच पथ की जांच करनी होगी, नए बूथों का प्रचार करना होगा, ईवीएम और वीवीपैट को लेकर मतदाताओं को जागरूक करना होगा और “भेद्य टोलों” में जाकर लगातार लोगों से मिलना होगा। मतदान के दिन उन्हें कतारों पर नजर रखनी होगी, वेबकास्टिंग केंद्रों की रिपोर्ट देनी होगी और मतदान खत्म होने तक कानून-व्यवस्था पर सतत निगरानी रखनी होगी। मतदान के बाद तुरंत ईवीएम और वीवीपैट सुरक्षित जमा कराना उनकी पहली जिम्मेदारी होगी।

डीएम ने अंत में यह भी स्वीकार किया कि शहरी इलाकों में वोटिंग प्रतिशत लगातार गिर रहा है। उन्होंने अधिकारियों को साफ निर्देश दिया है कि हर गांव और हर वार्ड में जागरूकता अभियान चलाएँ, खासकर उन बूथों पर जहाँ पिछले चुनावों में कम वोटिंग हुई थी। “मतदान केवल अधिकार नहीं, यह लोकतंत्र की ताकत है,”—डीएम ने यह कहते हुए मतदाताओं से भी अपील की कि वे बिना किसी भय और प्रलोभन के अपने मत का प्रयोग करें।

ब्यूरो रिपोर्ट