
पटना।
पटना में सोमवार को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा ‘जल मार्ग विकास परियोजना’ (JMVP) के तहत आयोजित ऐतिहासिक कार्यशाला में गंगा नदी को परिवहन की मुख्य धारा में लाने की रूपरेखा पर मंथन हुआ। पहली बार बिहार में हुई इस अंतर-मंत्रालयी कार्यशाला की अध्यक्षता केंद्रीय जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने की। उन्होंने कहा कि पटना को देश के अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन का प्रमुख “हब” बनाया जाएगा और यहां ‘वाटर मेट्रो प्रोजेक्ट’ की भी शुरुआत की जाएगी, जो राज्य के लिए नई विकास धारा का द्वार खोलेगा।
कार्यशाला में उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार के नीति-निर्माताओं ने जल परिवहन की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के बुनियादी ढांचे में जो क्रांतिकारी परिवर्तन आया है, उसका असर अब गंगा जैसे पवित्र और विशाल जलमार्गों पर भी दिखेगा। उन्होंने भरोसा दिया कि बिहार सरकार की ओर से सुझाए गए प्रस्तावों के आधार पर योजनाएं तय की जाएंगी, जिससे हर जिले को उसके भूगोल के अनुसार लाभ मिले।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस अवसर पर गंगा-भागीरथी-हुगली जलमार्ग को 1600 किमी की ‘लाइफलाइन’ बताते हुए पटना को बड़ा जल परिवहन केंद्र बनाने की जोरदार मांग रखी। उन्होंने कहा कि “संस्कार नगरी” पटना में गंगा अपने भव्य स्वरूप में बहती है, और अब यही स्वरूप आर्थिक गतिविधियों के नए युग की शुरुआत करेगा। उन्होंने कहा कि काशी से हल्दिया तक जलमार्ग को गति मिली है, और पटना इस पूरे तंत्र में रणनीतिक केंद्र बन सकता है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने पटना में ‘वाटर मेट्रो सेवा’ शुरू करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह परियोजना जल पर्यटन को गति देने के साथ-साथ 11 गंगा-पार जिलों को जोड़ने में भी मदद करेगी। उन्होंने प्रत्येक जिले में दो-दो जेटी निर्माण की मांग रखी और भागलपुर में मल्टीमॉडल टर्मिनल तथा पटना में जलपोत व क्रूज मरम्मत केंद्र की स्थापना की आवश्यकता को रेखांकित किया। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि गंगा के किनारे बसी यह धरती व्यापार और संस्कृति की प्राचीन धारा रही है — और अब यह नदी बिहार को समृद्धि की नई दिशा देगी। आईएएनएस
ब्यूरो रिपोर्ट