
पटना।
बिहार की ऊर्जा व्यवस्था को आधुनिक और सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने राज्य को 500 मेगावाट-घंटा क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Battery Energy Storage System – BESS) परियोजना की स्वीकृति दे दी है। यह योजना केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) योजना के तहत चलाई जाएगी, जिसके तहत केंद्र सरकार 135 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देगी। यह राशि प्रति MWh 27 लाख या कुल लागत का 30% (जो भी कम हो) के हिसाब से दी जाएगी।
इस परियोजना के तहत बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड द्वारा कुल 125 मेगावाट की बैटरियां स्थापित की जाएंगी, जिनकी चार घंटे की स्टोरेज क्षमता होगी। इससे राज्य को कुल 500 मेगावाट-घंटा (MWh) ऊर्जा भंडारण की सुविधा मिलेगी, जिससे बिजली की गुणवत्ता और आपूर्ति में बड़ा सुधार होगा। यह सिस्टम विशेष रूप से पीक डिमांड यानी अधिकतम मांग के समय पर मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा, जिससे उपभोक्ताओं को 24×7 भरोसेमंद बिजली मिल सकेगी।
परियोजना के लिए राज्य भर में 15 ग्रिड सबस्टेशनों का चयन किया गया है, जिनमें मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, भागलपुर (नया), सीतामढ़ी, फतुहा, मुशहरी, उदाकिशुनगंज, जमुई (नया), अठवां (नालंदा), जहानाबाद, रफीगंज, शिवहर, सिवान (नया), किशनगंज और बांका (नया) शामिल हैं। इन ग्रिडों पर 5 से 20 मेगावाट की बैटरियां लगाई जाएंगी। अब तक छह स्थानों के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है जबकि शेष स्थानों के लिए प्रक्रिया जारी है।
बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव ने इस परियोजना को राज्य की ऊर्जा क्षमता में ऐतिहासिक बढ़त बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य तकनीकी नवाचार और सतत विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यह परियोजना सिर्फ पर्यावरण अनुकूल और लचीली ऊर्जा आपूर्ति का जरिया नहीं बनेगी, बल्कि बिहार को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मजबूत बनाएगी।
ब्यूरो रिपोर्ट