पटना।

पटना के जिलाधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने सोमवार को समाहरणालय में लोक शिकायत निवारण एवं आरटीपीएस से संबंधित मामलों की गहन समीक्षा की। समीक्षा के दौरान उन्होंने स्पष्ट रूप से सभी लोक प्राधिकारों एवं संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि जनता के आवेदनों का त्वरित एवं गुणवत्तापूर्ण निष्पादन प्राथमिकता के साथ किया जाए। इस क्रम में यह जानकारी दी गई कि पिछले सप्ताह 205 नए परिवाद दर्ज हुए थे, जबकि 339 मामलों का निष्पादन किया गया। जिले में वर्तमान में कुल 2,146 शिकायतें प्रक्रियाधीन हैं, जिनमें किसी भी आवेदन की मियाद पार नहीं हुई है।

जिलाधिकारी ने पहली एवं दूसरी अपील के मामलों की समीक्षा में भी सख्ती दिखाई। पहली अपील के 10,655 मामलों में से 10,449 का निष्पादन हो चुका है, जबकि दूसरी अपील के 3,984 में से 3,834 मामले निपटा दिए गए हैं। सबसे अहम बात यह रही कि 60 कार्य दिवस से अधिक समय से कोई मामला लंबित नहीं है। साथ ही, 103 मामलों में संबंधित लोक प्राधिकारों पर कुल 2.85 लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया गया है और 25 मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति भी की गई है। जिलाधिकारी ने साफ कहा कि जो अधिकारी जुर्माना नहीं भरेंगे, उनके वेतन से कटौती की जाएगी।

अतिक्रमण के मामलों पर समीक्षा में सामने आया कि पटना जिले में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के अंतर्गत कुल 396 अतिक्रमण वाद लंबित हैं, जिनमें से श्रेणी-सी के 47 मामलों में अंचल अधिकारियों से प्रतिवेदन आना बाकी है। धनरूआ (12), पुनपुन (14) और दानापुर (10) जैसे अंचल दो अंकों में लंबित मामलों के साथ चिन्हित किए गए हैं। जिलाधिकारी ने इन मामलों को ‘गंभीर लापरवाही’ बताते हुए संबंधित अंचलाधिकारियों को त्वरित जांच कर निर्णय देने का निर्देश दिया।

बाढ़, मसौढ़ी, पालीगंज, फुलवारीशरीफ, मोकामा, पटना सिटी समेत 18 अंचलों में श्रेणी-सी के सभी अतिक्रमण वादों का निष्पादन हो चुका है, जो एक सकारात्मक संकेत है। जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि श्रेणी-सी के सभी अतिक्रमण मामलों में शून्य लंबित संख्या सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को लेकर निर्णय लंबित रहना अत्यंत खेदजनक है और इससे शासन की साख पर असर पड़ता है।

बैठक में संयुक्त शनिवारीय बैठकों की समीक्षा भी की गई, जिसमें 23 अंचलों से कुल 11,794 कार्यवाहियों की जानकारी अपलोड की गई है। जिलाधिकारी ने भूमि विवादों के समाधान में अंचलाधिकारी और थानाध्यक्ष की इस बैठक को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए हर शनिवार को इसकी अनिवार्य रूप से आयोजन की बात दोहराई। साथ ही निर्देश दिया गया कि सभी कार्यवाहियों को भू-समाधान पोर्टल पर अपलोड किया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

आरटीपीएस के तहत प्राप्त आवेदनों की समीक्षा में पाया गया कि केवल 3 मामले एक्सपायर्ड हैं—धनरूआ में दो और फतुहा में एक। जिलाधिकारी ने तत्काल इन आवेदनों के निष्पादन का निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि तकनीकी कारणों से लंबित दिख रहे मामलों को विभागीय समन्वय से ठीक कर, एक्सपायर्ड संख्या को शून्य किया जाए। उन्होंने दो टूक कहा कि सेवा प्रदान करने में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


                  अंत में जिलाधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम, 2011 का प्रभावी क्रियान्वयन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी अधिकारी सीपीग्राम, जनता दरबार और मुख्यमंत्री डैशबोर्ड से जुड़े मामलों को पूरी तत्परता से निपटाएं। जिन अंचलों या प्रखंडों में लापरवाही मिलेगी, वहां अनुमंडल पदाधिकारी स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई करेंगे और दोषियों पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।

ब्यूरो रिपोर्ट