
गौरैया संरक्षण में वर्षों से लगे हैं राम अयोध्या और अहमद शरीफ
पटना।
गौरैया हमारे परिवार और पर्यावरण का अभिन्न अंग रही है लेकिन आज वह हमसे रूठ ही नहीं गई बल्कि जीवन से बिछुड़ सी गई है. उसकी चहचहाहट के लिए हम और हमारे बच्चे तरस गए हैं. हमने अपनी लापरवाही और उदासीनता से उसे अपने से दूर कर दिया है.घरों को अपनी चीं-चीं से चहकाने वाली गौरैया अब दूर तक दिखाई नहीं देती.इस खूबसूरत पक्षी का कभी हमारे घरों में बसेरा हुआ करता था और बच्चे इसे देखते बड़े हुआ करते थे. गोरैया सदियों से हमारे घर आँगन का सौन्दर्य और गौरव रही किन्तु आज लुप्त प्रायः हो गई है. उसके साथ अठखेलियों के बीच हमारा बचपन बीता, जवान हुए.आज हम विश्व गौरैया दिवस मनाजा रहे हैं ऐसे में दूर-दूर तक गोरिया कहीं नजर नहीं आ रही है. आई आज हम अपने बचपन के इस दोस्त को अपने बीच अपने करीब लाने का प्रयास करें. फुलवारी शरीफ में रानीपुर में रहने वाले राम अयोध्या राय एवं संगी मस्जिद फुलवारी शरीफ निवासी पूर्व मुखिया स्व सय्यद अहमद कबीर का घर आज भी गौरैया का बसेरा बना हुआ है. पुराने बड़े-बड़े आंगन वाले घर का आज भी यहां अवशेष मौजूद है आज की पीढ़ी पुराने घर को सहेज कर उनका री मोडलाइजिंग कराये हुए हैं . आज भी इन दोनों घरों में सैकड़ो की संख्या में गौरैया का बसेरा देखा जा सकता है.
राम अयोध्या राय का कहना है कि वर्षों से उनके घर में गौरैया के लिए दाना पानी की व्यवस्था है.आज के नए वातावरण और नव युग के माहौल में भी घर में अलग से गौरैया के लिए दरबा बनाया हुआ है. सुबह शाम ईनके बीच दाना पानी में समय गुजर जाता है. सुबह-सुबह स्नान ध्यान और भगवान को पूजा के बाद इन्हें दाना देना और पानी देना उनकी आदत है. थोड़ा सा प्रयास इस नन्ही गोरिया को बचाए रखने के लिए सभी लोगों को करना चाहिए.आज की युवा वर्ग को भी इस गौरैया को बचाने के लिए आगे आना होगा. बिस्तर से लेकर खाना खाने के मेज तक गौरैया पहुंचती है और सबसे बड़ी बात बिना दाना आगे बढ़ाए बर्तन में मुंह नहीं लगाती हैं.
सय्यद अहमद कबीर के बेटे सैयद अहमद शरीफ उर्फ़ बाबू भाई बताते हैं की अब गौरैया के अस्तित्व पर संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफ़ी कम कर दी है और कहीं-कहीं तो अब यह बिल्कुल दिखाई नहीं देती. उनके घर आंगन में सैकड़ो की संख्या में गौरैया का बसेरा है. जिस तरह वह नमाज का समय नहीं भुलते उस तरह गौरैया को दान और पानी देना भी एक तरह की इबादत बन गयी है. रोजाना इनके दाना पानी का विशेष इंतजाम किया जाता है. अपनी निजी जिंदगी से थोड़ा सा समय उनके लिए सभी लोगों को भी देना चाहिए. आज जब बाहर से कुछ लोग उनके घर आते हैं तो इन गौरैया की चहचआहट देख लोग दंग रह जाते हैं कि ईतनी संख्या में गौरैया उनके घर में कैसे बसेरा बनाए हुए हैं. उन्होंने अपील की है थोड़ा सा समय दें, दाना पानी की व्यवस्था इस नन्ही गौरैया के लिए करें और उनका संरक्षण करके उनकी पीढ़ी को अपने आगे की पीढ़ी तक लेकर चले.
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव