बल्लभगढ़/फरीदाबाद।

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट द्वारा शिव मंदिर, तिरखा कॉलोनी में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक भव्य महिला संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. हृदयेश कुमार ने की।

नारी की महिमा को किया गया सम्मानित:
इस अवसर पर डॉ. हृदयेश कुमार ने नारी की महिमा का गुणगान करते हुए कहा—
“नारी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि की आधारशिला है। वह शक्ति, ज्योति और ममता का संगम है। नारी बिना यह संसार अधूरा है। शब्द भी इसकी गरिमा का पूरा वर्णन नहीं कर सकते।”

ट्रस्ट की सचिव विमलेश देवी ने इस अवसर पर महिलाओं के योगदान और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा—

“नारी केवल परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को दिशा देने वाली शक्ति है। वह कोमल होते हुए भी अत्यंत शक्तिशाली है। अपने त्याग, बलिदान और धैर्य से वह घर-परिवार और समाज को रोशन करती है। नारी की पहचान किसी एक दिन तक सीमित नहीं की जा सकती, क्योंकि वह हर दिन समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का कार्य करती है।”

नारी शक्ति को समर्पित कविता प्रस्तुत की गई:
इस अवसर पर महिलाओं के सम्मान में एक विशेष कविता भी प्रस्तुत की गई—

“नारी है शक्ति, नारी है ज्योति,
नारी बिना ये दुनिया है खोती।
ममता की मूरत, प्रेम की गंगा,
हर दुख-दर्द में बनती है संगा।
त्याग की मूरत, धैर्य की पहचान,
हर मुश्किल में रखती है मान।
सहनशीलता उसकी पहचान,
हर रिश्ते को देती है जान।
कभी है बेटी, कभी है मां,
कभी बहन तो कभी दुल्हन की शान।
हर रूप में प्रेम बरसाती,
अपनों के लिए हर दुख सह जाती।”

महिला सशक्तिकरण पर विचार-विमर्श:
इस संगोष्ठी में महिला सशक्तिकरण को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। वक्ताओं ने समाज में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं—
घरेलू हिंसा और लैंगिक भेदभाव: आज भी कई महिलाएं घरों में हिंसा और भेदभाव का सामना कर रही हैं।
शिक्षा में असमानता: भारत के कई क्षेत्रों में महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों की तुलना में अभी भी कम है।
कार्यस्थलों पर भेदभाव: महिलाओं को कार्यस्थल पर समान अवसर नहीं मिलते, और कई बार वे असमान वेतन और अन्य भेदभाव का सामना करती हैं।
दहेज प्रथा और बाल विवाह: यह सामाजिक बुराइयां आज भी मौजूद हैं, जो महिलाओं के विकास में बाधा डालती हैं।


महिला सशक्तिकरण के लिए उठाए जाने वाले कदम:
कार्यक्रम में यह निष्कर्ष निकला कि यदि समाज को सशक्त बनाना है, तो महिलाओं को उनके अधिकार, शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता देना होगा। वक्ताओं ने महिला सशक्तिकरण को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए—

1. शिक्षा को बढ़ावा देना: हर लड़की को शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर मिलना चाहिए।
2. रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना: महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त किया जाना चाहिए।
3. कानूनी जागरूकता: महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने हक की रक्षा कर सकें।
4. सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन: दहेज प्रथा, बाल विवाह और लैंगिक भेदभाव जैसी बुराइयों को समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।

महिला सशक्तिकरण का लिया संकल्प:
कार्यक्रम के अंत में अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के सदस्यों और उपस्थित लोगों ने संकल्प लिया कि वे महिलाओं के अधिकारों, सम्मान और समानता की रक्षा के लिए सदैव प्रयासरत रहेंगे।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं, समाजसेवी, शिक्षाविद् और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने अपनी अहम भूमिका निभाई और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अपने निरंतर प्रयास जारी रखने का वचन दिया।