प्रयागराज।

महाकुंभ 2025 के मौनी अमावस्या पर्व का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है, क्योंकि इस दिन लाखों श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में स्नान करने के लिए एकत्र होंगे। मेला प्राधिकरण का अनुमान है कि इस दिन लगभग 10 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज आएंगे, जो इस अद्वितीय अवसर पर पवित्र संगम में स्नान करेंगे। इस विशाल मेले के सुचारू संचालन के लिए मेला प्रशासन ने कई विशेष व्यवस्थाएं की हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े और उनकी यात्रा सुरक्षित और सुखमय हो।

समय सारिणी और स्नान व्यवस्था

मौनी अमावस्या के दिन अखाड़ों द्वारा स्नान के लिए समय-सारणी पहले ही जारी की जा चुकी है, जिससे श्रद्धालु यह जान सकें कि कब कौन सा अखाड़ा स्नान करेगा। सुबह 5 बजे महानिर्वाणी अखाड़े के नागा संन्यासी स्नान करेंगे। इसके बाद, 5:50 बजे श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और श्री पंचायती अखाड़ा आनंद स्नान करेंगे। 6:45 बजे जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और श्री पंचाग्नि अखाड़ा स्नान करेंगे। अन्य प्रमुख अखाड़ों का स्नान क्रमशः 9:25 बजे बैरागी अखाड़ा, 10:05 बजे दिगंबर अनी अखाड़ा, और 11:05 बजे अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा के बाद होगा। सबसे आखिरी में, 12 बजे से श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा स्नान करेगा, और 2:25 बजे श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा स्नान करेगा।

त्रिवेणी योग और पुण्य की मान्यता

ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार, इस वर्ष मौनी अमावस्या पर 144 वर्षों बाद अद्भुत त्रिवेणी योग का निर्माण हो रहा है, जिसे समुद्र मंथन के योग के समान माना जा रहा है। यह योग मंगलवार 2:35 बजे से लेकर 8 फरवरी सुबह 7:25 बजे तक रहेगा। इस समय में संगम में स्नान करने से अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है, जो श्रद्धालुओं को मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करता है। इस पर्व पर पवित्र संगम में स्नान को शास्त्रों में अत्यधिक पुण्यकारी और मोक्ष दायक माना गया है।

प्रशासनिक तैयारियाँ और दिशा-निर्देश

संगम में स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए मेला प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं की हैं। सबसे पहले, श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे अफवाहों से बचें और सतर्क रहें। प्रशासन ने ट्रैफिक व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। पुलिस बल, ट्रैफिक पुलिस और चिकित्सा टीम 24 घंटे सेवा में रहेंगी। किसी भी आपात स्थिति में श्रद्धालुओं को तुरंत पुलिस से सहायता लेने के लिए प्रेरित किया गया है।

मेला प्रशासन ने यह भी निर्देश दिया है कि श्रद्धालु संगम घाट पर जाने के लिए निर्धारित लेन का पालन करें, स्नान के बाद सीधा पार्किंग की ओर बढ़ें, और रास्तों पर रुकने से बचें। किसी भी प्रकार की हड़बड़ी या धक्का-मुक्की से बचने के लिए धैर्य बनाए रखें। इसके अलावा, श्रद्धालुओं को कागज, जूट या इको फ्रेंडली बर्तनों का उपयोग करने की सलाह दी गई है, ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

क्या करना है और क्या नहीं

श्रद्धालुओं के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं:

  1. क्या करना है:
    • संगम घाट पर पहुंचे तो निर्धारित लेन का पालन करें।
    • स्नान के बाद तुरंत पार्किंग की ओर बढ़ें।
    • यदि स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो, तो नजदीकी अस्पताल में जांच कराएं।
    • बैरिकेडिंग और पांटून पुलों पर धैर्य बनाए रखें।
    • कागज, जूट या इको फ्रेंडली बर्तनों का इस्तेमाल करें।
  2. क्या नहीं करना है:
    • एक स्थान पर ज्यादा देर तक न रुकें।
    • किसी भी अफवाह को सच न मानें।
    • रास्तों पर अवरोध न उत्पन्न करें।
    • जल्दबाजी और हड़बड़ी से बचें।

महाकुंभ के मौनी अमावस्या स्नान का अवसर केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव है जो श्रद्धालुओं को मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है। प्रशासन ने सभी व्यवस्थाओं को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, ताकि हर श्रद्धालु इस दिव्य अवसर का पूर्ण लाभ उठा सके। इस तरह, श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे मेला प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें और इस महान अवसर का हिस्सा बनें।

ब्यूरो रिपोर्ट