आरा (भोजपुर)।
तरारी विधान उपचुनाव में कमल के निशान के साथ ही राजग के कार्यकर्ताओं का चेहरा भी खिल उठा।लोक सभा के अप्रत्याशित हार मिलने के बाद यह जीत संजीवनी का काम किया ।इस उप चुनाव के सुखद परिणाम आने के बाद एनडीए गठबंधन के घटक दलों के जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 2025 के विधान सभा चुनाव के लिए सुखद परिणाम के लिए प्रेरित करेगा। लोक सभा की हार से सबक लेते हुए सभी दलों के शीर्ष नेताओं ने एक मंच पर दिखते रहे। सभी जाति के नेताओं को  दायित्व सौंपा गया था कि हर हाल में यह सीट आपकी प्रतिष्ठा से जुड़ी है।इसकी जी जान लगा दें।लोजपा (राम विलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने रोड शो कर युवा कार्यकर्ताओं एवं मतदाताओं के बीच     जबर्दस्त उत्साह बढ़ा दिया। सभी दलों के शीर्ष नेताओं से लेकर जमीनी स्तर के जुझारू कार्यकर्ताओं ने की जान लगा दी।एक ओर एनडीए ने  दो बार से विधायक बने सुदामा प्रसाद को बड़ी शिकस्त देने के लिए स्थानीय एवं 2010 में पहली बार तरारी विधान सभा के गठन होने के बाद पहला विधायक बनने के बाद सुनील पाण्डेय  क्षेत्र में  विकास कर अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहे। पूर्व  विधायक सुनील पाण्डेय 2015 में अपनी पत्नी को लोजपा की ओर से उम्मीदवार बनाया मात्र  292 वोटो के अंतर  से पराजय मिला। एनडीए गठबंधन  के कारण लोजपा को यह सीट नहीं मिला और भाजपा के कौशल  विद्यार्थी को उम्मीदवार बनाया गया तब सुनील पाण्डेय निर्दलीय नामांकन किए । कौशल विद्यार्थी  के मैदान में रहने से वोट का बंटने के बावजूद 63 हजार मत मिला था। चंद हजार मतों से हार गए। लेकिन इस बार  पुनः एनडीए गठबंधन के कोटे से भाजपा को ही सीट मिलती इसलिए भाजपा के शीर्ष नेताओं ने सुनील पाण्डेय एवं पुत्र विशाल प्रशांत को पार्टी की सदस्यता दिलाकर विशाल प्रशांत के लिए सीट  सुरक्षित कर दी। भाजपा ने पूर्व विधायक सुनील पाण्डेय के पुत्र एवं पूर्व विधान पार्षद के भतीजा हुलास पांडेय के भतीजा युवा नेता एवं साफ सुथरा छवि वाले विशाल प्रशांत को  पहली बार उम्मीदवार बनाकर अपनी रणनीति बनाई जिसका सुखद परिणाम सफलता के रूप में मिला।इस चुनाव सभी वर्गों खासकर के मतदाताओं एवं युवाओं ने खुलकर समर्थन दिया जिससे अपने पिता को मिले वोटो से ज्यादा मत लाकर पिता कहा गया सच साबित कर दिया।वहीं सीपीआई सीपीआई माले तरारी विधान सभा सीट को अपना गढ़ मानता था और महागठबंधन के साथ मिलने से यह सीट जीतने के लिए प्रबल दावेदार समझा जा रहा था ।वर्ष 2015 में अपने बल पर  सुदामा प्रसाद को जीत मिली थी।वर्ष 2020 में महागठबंधन को शामिल हो जाने से जीत और आसान हो गई  थी। इस चुनाव विशाल प्रशांत के प्रतिद्वंदी माले प्रत्याशी राजू यादव की हार हुई । राजू यादव ने हार को स्वीकार किया और कहा कि मोदी कैबिनेट की पूरी टीम लगाकर हमको हरवाई है।तरारी में धनबल और बाहुबल की जीत हुई है जो गरीबों की हार हुई है। वहीं महागठबंधन के शीर्ष नेताओं  और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच आपसी तालमेल का अभाव रहा।क्षेत्र के लोगों की माने तो  माले प्रत्याशी का चुनाव सही से नहीं कर पाना बताया जा रहा है। राजू यादव स्थानीय नहीं हैं और पार्टी में भी सक्रिय नही हैं। चुनावी घोषणा के बाद तरारी में सिर्फ राजू यादव उतरने के पहले उन क्षेत्रों में कोई अपना प्रभाव नहीं था।चुनाव के समय ही क्षेत्र में गए जिसके वजह से लोग पहचान नही पाए, जिसका परिणाम रहा हर जाति हर वर्ग ने विशाल प्रशांत को वोट देकर विधायक बनाया।लोगों का कहना था तरारी में विकास नहीं हुआ इसलिए एक तरफा वोट विशाल प्रशांत को मिला। वहां की जनता बदलाव चाहती थी।बतादें कि सुदामा प्रसाद को पार्टी एवं महागठबंधन ने आरा लोक सभा चुनाव 2024 के लिए उम्मीदवार बना दिया।जिसमें जीत भी मिली। सांसद बनने के कारण तरारी विधान सभा का सीट खाली हो गया । चुनाव आयोग ने 13  नवंबर शांतिपूर्ण मतदान एवं 23 नवंबर को परिणाम भी घोषित संपन्न करा दिया।इस चुनाव में एनडीए को विजय मिली।

ब्यूरो रिपोर्ट: अनिल कुमार त्रिपाठी