आरा/जगदीशपुर (भोजपुर)।

रामलीला के आज 10 वें दिन मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसके पश्चात प्रभु श्रीराम की आरती कर लीला का मंचन प्रारंभ हुआ। प्रथम दृश्य में सर्वप्रथम मेघनाथ का वध दिखाया गया। द्वितीय दृश्य में अहिरावण का वध दिखाया गया।

तृतीय युद्ध में भगवान श्रीराम के द्वारा रावण का वध दिखाया गया।जिसमें विभीषण के द्वारा बताए जाने पर की रावण का प्राण उसके नाभि में है प्रभु राम के द्वारा नाभि में वाण मारा जाता है जिससे रावण की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के पूर्व लक्ष्मण जी द्वारा रावण से तीन ज्ञान प्राप्त होता है।अच्छे काम में कभी विलंब नहीं करना चाहिए। अशुभ कार्य को मोहवश अगर करना पड़े तो जितना हो सके उसे टालने का प्रयास करें। अपने शक्ति और पराक्रम में इतना घमंड नहीं होना चाहिए जिससे सामने वाला शत्रु आपको कमजोर नजर आए।रावण वध के बाद आए हुए मुख्य अतिथि जिलाधिकारी तनय सुल्तानिया,एस पी राज, एएसपी परिचय कुमार, एसडीओ रश्मि सिन्हा के साथ संस्था के अध्यक्ष सोनू राय द्वारा वाण मारकर रावण के पुतले को दहन किया गया। मौके पर काफी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। शहर की जनता इस कार्यक्रम को देखने के लिए काफी मात्रा में इकट्ठी हुई थी।जैसे ही रावण दहन हुआ जय श्रीराम का नारा चारों तरफ गूंजने लगा।

जिलाधिकारी तन्य सुल्तानिया और एसपी राज ने शहर वासियों को विजयदशमी की बधाई दी। सत्येंद्र राम,अजयगुप्ता,सत्यनारायण ब्याहुत, जितेंद्र ,निकेश पांडे, राजेश कुमार,मनोज गुप्ता, सुरेश प्रसाद, गोपाल प्रसाद, राजू कुमार और अन्य थे। मुख्य सदस्यों में संरक्षक मंडल के हकीम प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद, रामकिंकर दास, उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता,मदन प्रसाद,शंभूनाथ केसरी,विजय भारती,शत्रुघ्न प्रसाद मंच संचालन दिलीप गुप्ता ने किया प्रसाद वितरण का कार्य बुटाई जी ने किया। पंकज प्रभाकर ने दशहरा की शुभकामनाएं दी। वहीं जगदीशपुर (भोजपुर)अहंकार एवं अत्याचार के प्रतीक दशानन का प्रतीकात्मक अंत विजयदशमी को हो गया। रावण के पुतले धू-धूकर जल गए। पुतले से पटाखे की ताड़ाहत होते ही जय श्री राम के उद्घोष होने लगे। कड़ी प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था और खचाखच भीड़ के बीच शनिवार को इसका गवाह जगदीशपुर नगर के ऐतिहासिक वीर कुंवर सिंह किला मैदान बना। इससे पहले श्री राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। जिसमें श्रीराम ने रावण की नाभि में तीर मार कर उसका वध किया। उसके बाद एसडीएम संजीत कुमार, एसडीपीओ राजीव चंद्र सिंह व नपं के चेयरमैन संतोष कुमार यादव द्वारा संयुक्त रूप से लगाए गए आग से रावण का पुतला धू-धू कर जलने लगा। इस तरह असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म ने विजय प्राप्त की। वीर कुंवर सिंह किला श्रीराम के जय जयकार से गूंज उठा। दर्शकों ने आतिशबाजी का जमकर आनंद उठाया। एसडीएम, एसडीपीओ और चेयरमैन ने बताया कि दशहरा का पर्व असत्य पर सत्य की जीत है। सत्य के रास्ते पर चलने वाले को थोड़ी परेशानी तो होता है। लेकिन विजय उन्हीं की होता है। आज हमें सत्य के रास्ते पर चलने की जरूरत है। इस दौरान रामलीला कलाकारों की प्रशंसा करते हुए आयोजन समिति को धन्यवाद दिया। निबंधन पदाधिकारी नन्द प्रताप, बीडीओ सुदर्शन कुमार, थानाध्यक्ष बिगाऊ, एसआई अफताब ख़ान, जेई रौशन कुमार पांडेय सहित अन्य ने रामलीला के विभिन्न प्रसंगों को देख कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। वही नवमी को सूर्पनखा का नाक काटना, रावण दरबार, सीता हरण, सुग्रीव राम मित्रता,बाली सुग्रीव युद्ध, अशोक वाटिका में सीता,अक्षय कुमार युद्ध, हनुमान रावण संवाद, लंका दहन तो विजयदशमी पर विभीषण की शरणागति,अंगद रावण संवाद,लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध, भरत हनुमान भेट, कुंभकरण से युद्ध और राम रावण युद्ध प्रस्तुति की गयी। जहां रामलीला महोत्सव भक्तिमय  माहौल में समापन हो गया।रामलीला में विभिन्न प्रसंगों को देखकर दर्शक काफी भावविभोर हुए। इसको सफल बनाने में अध्यक्ष जवाहर शर्मा, महामंत्री शैलेश कुमार गुप्ता, आलोक भारद्वाज अजीत पांडे, ओम प्रकाश, मुनि लाल शर्मा अन्य का सराहनीय योगदान रहा।

ब्यूरो रिपोर्ट: अनिल कुमार त्रिपाठी