पटना।

बिहार में केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं के तहत RTPS (राज्य प्रमाण पत्र सेवा), जिविका, श्रमिक कार्ड (Labour Card), ई-श्रम कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड और सर्विस प्लस जैसे डिजिटल सेवाएं आम नागरिकों के लिए उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम से लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इन सेवाओं के लागू होने के बाद एक समस्या खड़ी हो गई है। वह है इन ऑनलाइन प्लेटफार्मों की कार्यप्रणाली और सर्वर की धीमी गति। इन सेवाओं को लेकर सरकारी अधिकारियों और नेताओं के प्रचार-प्रसार से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जनता को इसके माध्यम से व्यापक लाभ मिलेगा, लेकिन साइट्स के स्लो और कई बार सर्वर फेल होने के कारण लाभार्थियों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है।

सिस्टम की खामियां और जनता का सामना:
बिहार सरकार ने इन योजनाओं के माध्यम से गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की योजना बनाई थी, लेकिन जिस तरीके से सर्वर स्लो हो रहे हैं, और साइट्स पर अक्सर क्रैश हो जाते हैं, वह एक बड़ी समस्या बन गई है। खासकर उन लोगों के लिए जो तकनीकी जानकारी से अपरिचित हैं या जिन्हें इन सर्विसेज का उपयोग करने में परेशानी हो रही है। शिक्षित वर्ग के लिए भी यह एक चुनौती बन चुकी है, तो सोचिए उन गरीब और असहाय लोगों की स्थिति क्या होगी जो इन्हें समझ नहीं पा रहे। उनके लिए यह एक कठिन स्थिति बन चुकी है, जहां न तो वे कामकाजी हैं और न ही ये ऑनलाइन सेवाएं ठीक से काम कर रही हैं। इसके साथ ही चुनावी माहौल में सरकार की योजनाओं को लेकर हो रही चर्चा से यह प्रतीत होता है कि सरकार खुद इस व्यवस्था की खामियों से अनभिज्ञ नहीं है, लेकिन शायद प्रशासनिक स्तर पर इस समस्या के समाधान में पर्याप्त गति नहीं आ पा रही।

राजनीतिक दृष्टिकोण:
नीतीश सरकार और पीएम मोदी दोनों ही इन योजनाओं के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों का कहना है कि इन योजनाओं के तहत लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इन योजनाओं की कार्यान्वयन प्रणाली में खामियां सरकार की छवि को प्रभावित कर रही हैं। चुनावी मौसम में इन समस्याओं पर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी बढ़ सकते हैं। विपक्ष का यह कहना है कि यह सारी योजनाएं केवल चुनावी चश्मे से देखी जा रही हैं, और इनकी असलियत यह है कि इनका लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुँच पा रहा है। दूसरी तरफ, नीतीश सरकार का दावा है कि ये योजनाएं समय के साथ व्यवस्थित होंगी और राज्य में विकास की नई दिशा प्रदान करेंगी। लेकिन जब तक सिस्टम की खामियों को नहीं सुधारा जाता, तब तक इन योजनाओं का वास्तविक लाभ जनता तक नहीं पहुँच सकता है।

समाधान की दिशा:
सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह इन डिजिटल सेवाओं के तकनीकी पक्ष को मजबूत करे, ताकि लाभार्थी इनका सहजता से उपयोग कर सकें। सर्वर की गति में सुधार, वेबसाइटों के नियमित अपडेट, और तकनीकी सहायता केंद्रों की स्थापना से इस स्थिति को सुधारा जा सकता है। इसके साथ ही, सरकारी अधिकारियों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि केवल प्रचार और प्रसार से योजनाएं सफल नहीं होतीं; उन्हें जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन की ओर ध्यान देना चाहिए। यदि सरकार इसे जल्दी सुधारने में सफल रहती है, तो बिहार में इन योजनाओं का व्यापक असर देखने को मिल सकता है।

बिहार के इस चुनावी माहौल में यह समस्या गंभीर रूप से चुनावी प्रचार पर भी असर डाल सकती है, क्योंकि जनता का विश्वास सिर्फ योजनाओं में नहीं, बल्कि उनके प्रभावी क्रियान्वयन में भी होना चाहिए।

ब्यूरो रिपोर्ट