
पटना।
बिहार की राजनीति में युवाओं को साधने की होड़ तेज़ हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सात निश्चय कार्यक्रम के तहत चल रही मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का दायरा बढ़ाते हुए अब स्नातक उत्तीर्ण बेरोज़गारों को भी लाभार्थी बना दिया है। पहले यह योजना केवल इंटर पास बेरोज़गार युवक-युवतियों तक सीमित थी, लेकिन अब कला, विज्ञान और वाणिज्य स्नातक 20–25 वर्ष के युवा भी इसमें शामिल होंगे।
नए प्रावधान के मुताबिक, वे स्नातक पास युवक-युवतियां, जो कहीं पढ़ाई नहीं कर रहे, स्वरोज़गार से जुड़े नहीं हैं और किसी सरकारी या निजी नौकरी में भी नहीं हैं, उन्हें अधिकतम दो वर्षों तक प्रति माह ₹1,000 की राशि मिलेगी। सरकार का तर्क है कि यह भत्ता प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, कौशल विकास प्रशिक्षण या रोज़गार के छोटे प्रयासों के लिए आर्थिक सहारा बनेगा। 2016 में शुरू हुई इस योजना से अब तक बिहार में 59 लाख से अधिक युवाओं को मदद मिली है, जिनमें सारण, पटना और गया ज़िले शीर्ष पर हैं।

नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर कहा कि उनकी प्राथमिकता युवाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना रही है। उन्होंने दावा किया कि अगले पांच सालों में एक करोड़ युवाओं को सरकारी नौकरी और रोज़गार देने का लक्ष्य है। इसके साथ ही कौशल विकास कार्यक्रमों के ज़रिए उन्हें बाज़ार की ज़रूरतों के अनुसार तैयार किया जा रहा है। यह कदम एनडीए की युवा-हितैषी छवि को मज़बूत करने के तौर पर देखा जा रहा है।
ब्यूरो रिपोर्ट