
राष्ट्रकवि दिनकर की कालजयिता और प्रासंगिकता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
आरा (भोजपुर)।
स्थानीय एस बी कॉलेज के 54 वें स्थापना दिवस सह स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर राष्ट्रकवि दिनकर की कालजयिता और प्रासंगिकता विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन रविवार को हुआ। अतिथियों का स्वागत प्राचार्या पूनम कुमारी ने किया। दूसरे कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित हुआ।पहले सत्र में विषय पर वक्ताओं ने अपनी बातों को रखा तो दूसरे सत्र में शोधार्थियों, शिक्षकों ने अपने पत्र प्रस्तुत किये। विशिष्ट अतिथि प्रो केके सिंह ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर जनमानस के कवि थे। इनकी कविताओं में भारतीय जीवन की संपूर्ण चेतना देखने को मिलती है।इनकी सबसे बड़ी विशेषता विपरीत धाराओं को जोड़ने की रही है, जो इनकी कविताओं को समग्रता प्रदान करती है।प्रो दिवाकर पाण्डेय ने कहा कि दिनकर ने कुरुक्षेत्र और उर्वशी में जीवन के शाश्वत प्रश्नों पर विचार किया है और उनका समाधान भी प्रस्तुत किया है। मुख्य वक्ता प्रो जे बी पाण्डेय ने कहा कि दिनकर की रचनाओं में लोक सबसे ऊपर है। वे किसानों और आमजनों के कवि रहे है। अध्यक्षता करते हुए प्रो बलिराज ठाकुर ने कहा कि कविता की श्रेष्ठता को बरकरार रखते हुए दिनकर ने लोकप्रियता हासिल की। उनकी रचनाओं में जनाकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का स्पष्ट दर्शन होता है। संचालन डॉ श्वेता और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सद्दाम हुसैन ने किया। मौके पर डॉ आनंद भूषण, डॉ अरविंद, डॉ अर्चना, डॉ साधना, डॉ नीतू, डॉ मिथिलेश कुमार गिरी, डॉ बिंकटेश्वर चौधरी, डॉ उमेश कुमार राय, डॉ आदित्य, अधिवक्ता डॉ लक्ष्मी नारायण राय, सुनील कुमार, डॉ जनार्दन राय, डॉ अजय कुमार सिंह,अशोक तिवारी, डॉ राधिका रमण,डॉ राकेश रंजन, डॉ मुन्ना, डॉ पूजा कुमारी, भरत सिंह, रमेश राय, कृष्ण भाष्कर, सुमीर शर्मा, ललन आदि मौजूद थे ।
ब्यूरो रिपोर्ट: अनिल कुमार त्रिपाठी