
फुलवारी शरीफ़।
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालय संजय गांधी डेयरी प्रौद्योगिकी संस्थान में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस उत्साहपूर्वक मनाया गया. यह कार्यक्रम दुग्ध क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन की 103वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया. इस वर्ष के राष्ट्रीय दुग्ध दिवस की थीम थी ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुग्ध उद्योग में परिवर्तन.

कार्यक्रम की अध्यक्षता एसजीआईडीटी के डीन, डॉ. उमेश सिंह ने की. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डी.के. श्रीवास्तव, पूर्व प्रबंध निदेशक, मिथिला मिल्क यूनियन लिमिटेड, समस्तीपुर एवं अध्यक्ष, इंडियन डेयरी एसोसिएशन (बिहार चैप्टर) उपस्थित रहे.
डेयरी क्षेत्र में ‘ग्रीन डेयरी, क्लीन डेयरी’ की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए विख्यात डी.के. श्रीवास्तव ने ‘जीविका सुनिश्चित करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए दुग्ध उद्योग’ विषय पर व्याख्यान दिया. उन्होंने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छे चारे, पशु आहार और पशुओं की देखभाल के महत्व पर जोर दिया..साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग का समर्थन करते हुए डेयरी संचालन में जैव अपशिष्ट, बायोगैस और बायोमास के उपयोग पर भी चर्चा की.
अपने संबोधन में डीन डॉ. उमेश सिंह ने भारत के डेयरी क्षेत्र में डॉ. कुरियन के अद्वितीय योगदान को नमन करते हुए सहकारी मॉडल को सफल बनाने में उनकी भूमिका की सराहना की.उन्होंने बिहार में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता बढ़ाने के लिए दूध उत्पादन और नस्ल प्रबंधन प्रथाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया.

विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, डॉ. जाहंगीर बदशाह ने ‘डेयरी उद्यमों के लिए उद्यमशीलता के अवसर’ विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इंटरनेट ऑफ थिंग्स डेयरी क्षेत्र के उद्यमियों को सशक्त बना सकते हैं.कार्यक्रम के आरंभ में, डॉ. सोनिया कुमारी ने ‘राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के महत्व’ पर जानकारी दी.
आयोजन में डॉ. योगेंद्र सिंह जादौन, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. एल.एम. बल, डॉ. योगिता शर्मा, डॉ. अनामिका दास, और डॉ. जूई लोध ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव